उत्थान पतन तो सबका है ,
आंखो को रोशन रहने दो
प्रेम दया करुणा की वीथी
वीर मानवता को बसने दो -
शांति स्नेह भर सागर छलके
रस- धार धरा से बहने दो -
मिटे धुंध विनास की बदली
प्राचीर भेद की गिरने दो -
आंखो को रोशन रहने दो
प्रेम दया करुणा की वीथी
वीर मानवता को बसने दो -
शांति स्नेह भर सागर छलके
रस- धार धरा से बहने दो -
मिटे धुंध विनास की बदली
प्राचीर भेद की गिरने दो -
उदय वीर सिंह
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