जो पुछते थे सवाल कल
आज वो सवाल तुमसे है
जिसका था तुम्हें मलाल कल
आज वो मलाल तुमसे है
जो कल थी फौलादी बेड़ी
आज कनक कंगन हुई
कल झटके की बात करते थे
आज जिंदगी हलाल तुमसे है
सँपेरों मदारियों का था ये देश
है ऐसा तुम्हारा खयाल
पाणिनी आर्यभट्ट बराहमिहिर .
का प्रश्न प्रहार तुमसे है -
रोटी कपड़ा मकान का रोना
सुरक्षा संस्कृति का विलाप भी
आज सुरक्षा संस्कृति रोटी कपड़ा
मकान का सवाल तुमसे है -
खाईं बढ़ रही है समाज में
तुम्हारी असहनीय चिंता थी
आज खाईं ही नहीं नफरत की
उठी दीवाल का सवाल तुमसे है -
उदय सिंह
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