गुरुवार, 20 जुलाई 2017

जो कल थी फौलादी बेड़ी

जो पुछते थे सवाल कल 
आज वो सवाल तुमसे है 
जिसका था तुम्हें मलाल कल 
आज वो मलाल तुमसे है 
जो कल थी फौलादी बेड़ी
आज कनक कंगन हुई 
कल झटके की बात करते थे 
आज जिंदगी हलाल तुमसे है 
सँपेरों मदारियों का था ये देश
है ऐसा तुम्हारा खयाल 
पाणिनी आर्यभट्ट बराहमिहिर .
का प्रश्न  प्रहार तुमसे है -
रोटी कपड़ा मकान का रोना
सुरक्षा संस्कृति का विलाप भी 
आज सुरक्षा संस्कृति रोटी कपड़ा 
मकान का सवाल तुमसे है -
खाईं बढ़ रही है समाज में 
तुम्हारी असहनीय चिंता थी 
आज खाईं ही नहीं नफरत की 
उठी दीवाल का सवाल तुमसे है -

उदय सिंह 

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