fमुझे दिल में ही रहने दो ताज न बनाओ
देकर आंसूओ का मोहताज न बनाओ -
पीपल की छांव भी मुस्कराती है जींद
सल्तनत शाहजहाँ हसरत मुमताज़ न बनाओ -
बेकस की बैसाखी बन जाऊ ख्शी होगी
मुझे जुल्मो सितम की आवाज न बनाओ
मिलकर गले पोंछ लूँ आँसू कातर नयनों के
देकर दूरियाँ जमीन से आकाश न बनाओ- -
आँखें देख लेती है आसमा को जमीन से
पाँवों के निशान रास्ता देंगे परवाज़ न बनाओ
उदय वीर सिंह
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