शनिवार, 10 मार्च 2018

हम पुश्तों से कर्जदार लगते हैं-

आप गौ गरीब के तरफदार लगते हैं
अफसोस दोनों के बाजार लगते हैं-
हवा पर प्रतिबंध नामुमकिन नहीं
उपभोक्ता हजारों-हजार लगते हैं -
मिला आसरा वर्षात सर्दी धूप में
इतने बड़े हुए की कुतुबमीनार लगते हैं-
हर्नियां के आपरेशन में गुर्दे यकृत गुम
डाक्टर काबिल ईमानदार लगते हैं -
हम लड़े जंग सहे सितम कुर्बान हुए
और आप हर विजेता के वफादार लगते हैं -
सवा सेर गेहूं के आप साहूकार कामिल
हम पुश्तों से कर्जदार लगते हैं-
उदय वीर सिंह




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