सामान नहीं है आबरू तोलता क्यों है
नेह के शब्द न जाने बोलता क्यों है -
अगर तूफान से लड़ने का जज्बा खोया
कदम बरसात में
अपना रखता क्यों है -
शिकायत है फिज़ाओं से अगर तुमको
घर के दरवाजे बुहों को खोलता क्यों है -
न जाना दर्द किसी मजबूर का अपना
रगों में खून का दरिया वीर बहता क्यों है -
उदय वीर सिंह
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