रविवार, 2 सितंबर 2018

एक ज्वाला मुखी ही काफी है ...


किसी को देव किसी को
दानव बना दिया है
किसी ने नहीं कहा अपने को
मानव बना लिया है-

अनेकों सोते कम पड़ते है
प्यास बुझाने को
एक ज्वालामुखी ही काफी है
जीवन की रीत मिटाने को -

भरा है आँखों में नीर
हृदयमें ज्वालामुखी क्यों है
नंगी लाश से पूछते हो
क्या अवशेष बताने को -

शोक गीतों में रंग ढूंढने
चले रस अलंकार के गायक
संवेदन के पंख कटे जब
क्या गति मिली उड़ानों को -

नंगे तन में ढूंढ रहा है
कलुषित कर ले कपड़ों को
चित्कारो में विजय प्रमाद
संस्कृति रक्षा रखवारों को -

उदय वीर सिंह