शनिवार, 12 जनवरी 2019

लंगोटी में जन्म व बिसर्जन हो जाता है ...


किसी का क्रंदन किसी का मनोरंजन हो जाता है ,
किसी की मुक्ति ,किसी का बंधन हो जाता है ,
किसी के आंसू किसी को भीनी ठंढ पहुंचाते हैं
किसी का वेदन किसी का संजीवन हो जाता है -
किसी के आँखों में भय किसी को उत्साह देती है
किसी का कोयला भी माथे का चन्दन हो जाता है
बहने को नहीं है खून व् पसीना सब सुख गए
प्रयास के चाँद, सूरज सितारे सब डूब गए
बिना श्रम बिना पूंजी के कनक कायनात में कोई
श्रम-साधक का लंगोटी में जन्म विसर्जन हो जाता है -
उदय वीर सिंह


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