रविवार, 13 जनवरी 2019

·साहिबे कमाल गुरु गोबिंद सिंह


·साहिबे कमाल गुरु गोबिंद सिंह  
गुरु- पर्व की [दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह जयंती ] की समस्त मानव जाति को लख लख बधाई .... 
गुरु गोबिंद सिंह - एक अतुलनीय अविस्वसनीय अकल्पनीय युग ,एक विचार ,एक क्रांति ,एक गुरु ,एक अध्येता ......सर्वोपरि एक जीवन-आधार ...
गुरु गोबिंद सिंह एक पयोधि....अगर एक बूंद के भी हम हकदार हो पाए जीवन अमर हो जाता है ..
- कुछ संक्षिप्त अनमोल जीवन-सार , सूत्र-वाक्य युग-दर्शन बने केवल एक पंथ,एक देश ,एक सीमा ,एक समुदाय ,एक भाषा वरन समस्त मानव-जाति के लिए .... 
****
उपजिया वीर अगम्मड़ा वरियाम अकेला 
वाह वाह गोबिंद सिंह आपे गुरु -चेला -
-मानुष की जाति सब एकै पछानिबो ...
- किरत करना मिल बांट कर रहना 
- सत्य संकल्प और ईमान पर अडिग रहना 
- अपनी आय का एश समाज हित दसवां हिस्सा दान में देना 
- बाणी सुमिरन जीवन सार ... 
किरत में दरीदार [ कोतहाई ] नहीं करना ,अपना सर्वोत्तम देना 
- धन, जवानी,कुल जाति का निषेध 
- साम दाम दंड भेद विफल होने पर ही युद्ध आरंभन 
- और यदि युद्ध करना ही पड़े तब - विजय सुनिश्चित करना 
" जब जाई लरौं आरी सों रण में निश्चय कर अपनी जीत करो "
- किसी की निंदा ,चुगली और इर्ष्या भाव निषेध 
- परदेशी, जरुरतमंदो, अपंगों असहाय, मजलूमों ,पीड़ितों की दरिया दिल हो मदद करनी 
- बचन का पालन जीवन पर्यंत सुनिश्चित करना 
- अस्त्र-सस्त्र ,शास्त्र में पारंगत होना
- मद्य [नशा ] निषेध का अनुसरण करना
- डरना और किसी को डराना 
-और अरदास [संकल्प ] करके पीछे कभी मुड़ना स्वीकार्य नहीं ...
उपरोक्त तत्वों का आलोक ही सिक्खी जीवन का मूल तत्व है जिसे उस विकृत- दौर [आक्रान्ता विदेशी काल ] में केवल एशियाई प्रक्षेत्र वरन सम्पूर्ण विश्व के मुख्य धर्मों राजनीतिक पुरोधाओं द्वारा दशमेश पिता के दर्शन को संतुति ही नहीं अपार पूर्ण स्वीकृति मिली
देशी राजाओं ,शंकराचार्यों, धर्म वेत्ताओं ,स्वामी विवेकानंद दयानन्द सरस्वती आदि अनन्य राजनीतिग्यों महात्मा गाँधी ज्योतिबा फुले मदन मोहन मालवीय, पंडित नेहरू ,बल्लभ भाई पटेल,विनोव भावे आदि .. ही नहीं अनेकों विदेशी राजनीतिज्ञों धर्मावलम्बियों, रुसी अमेरिकी ब्रितानी,राष्ट्राध्यक्षों यथा रानी विक्टोरिया ,विल्सन,चर्चिल मार्गरेट थैचर बिल क्लिंटन,बराक ओबामा आदि ... 
सन्दर्भ पुस्तक -excellence of Sikhism -डॉ सरूप सिंह
* दशम पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के रचना-ग्रन्थ -
-दशम ग्रन्थ ,जाप साहिब ,अकाल उस्तत,बचित्र नाटक ,
-चण्डी चरित्र ,शास्त्र नाम माला, अथ पख्याँ चरित्र लिख्यते ,ज़फ़रनामा : [मुगल शासक औरंगजेब के नाम पत्र।]
-खालसा महिमा : खालसा की परिभाषा और खालसा के कृतित्व।
' कहूँ अबकी कहूँ तबकी ,ना होते गुरु गोबिंद सिंह तो सुन्नत होती सबकी' - पीर बुल्ले शाह
** एक नहीं ,कई जन्म नहीं 
हर जन्म मिले तेरे आँगन 
तेरी राह चलूँ यह बल देना 
चिर -विश्राम मिले तेरे आँगन -
उदय वीर सिंह




कोई टिप्पणी नहीं: