रविवार, 17 मार्च 2019

तेरे नाम दा निवाला दो जहां दे रहा है -



जमीन दे रहा है आसमान दे रहा है
तेरे नाम दा निवाला दो जहान दे रहा है -
जर्रों को रोशनी है बेबसों के लब हंसी है
अंधेरों के घर मशाले नया विहान दे रहा है -
क्यों कर मंदा आखिए जिन जमिया राजान
नानक तेरा शुकराना सम्मान दे रहा है -
कुदरत के सब बन्दे कौन भले को मंदे
मानव की जाति एको नानक पैगाम रहा है -
किरत करना बंद के छकड़ा नानक की मर्यादा
आश लगाये गुरु चरणों की इलहाम दे रहा है -
उदय वीर सिंह

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