गुरुवार, 21 मार्च 2019

लख वसन सुनहरे बाबूजी .....

राष्ट्रवाद का अर्थ विषद ,
तुमको कितना मालूम बाबूजी
यह वतनपरस्तों का आँगन है
तुमको कितना मालूम बाबूजी -
यह जाति गोत्र धर्म से ऊपर
दिल फरजन्दों का बाबूजी -
माजी दौर लिखा करता है
तुम मिटा पाओगे बाबूजी -
असाध्य रोग तन बचा पाए
लख वसन सुनहरे बाबूजी -
उदय वीर सिंह



1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

शुभ हो होली। सुन्दर।