राष्ट्रवाद का अर्थ विषद ,
तुमको कितना मालूम बाबूजी
यह वतनपरस्तों का आँगन है
तुमको कितना मालूम बाबूजी -
यह जाति गोत्र धर्म से ऊपर
दिल फरजन्दों का बाबूजी -
माजी दौर लिखा करता है
तुम मिटा न पाओगे बाबूजी -
असाध्य रोग तन बचा न पाए
लख वसन सुनहरे बाबूजी -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
शुभ हो होली। सुन्दर।
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