शनिवार, 27 अप्रैल 2019

कहा नहीं जा सकता ....

हर सीने में दिल होता हर सीने में धड़कन भी -
पर कहा नहीं जा सकता
हर सीने में मधु होगा हर सीने में मधुवन भी -
***
हर दिल चाहत होती हर दिल में उत्साह प्रवर
पर कहा नहीं जा सकता
हर हाथों में दीपक होगा हर हाथों में परचम भी -
***
विषधर की रखवाली में चन्दन अछूत हो जाता है
पर कहा नहीं जा सकता
शोलों की आगोश बसा शीतल रह पायेगा चन्दन भी -
***
जब रण मांगे आभूषण शाळा शस्त्र बनाने लगती है
कहा नहीं जा सकता
कब मांग बन जाए रणचंडी,शमशीर बने कर कंगन भी -

उदय वीर सिंह




4 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…


जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
28/04/2019 को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......

अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद

ज्योति सिंह ने कहा…

वाह बहुत बढ़िया है

मन की वीणा ने कहा…

अद्भुत अप्रतिम आदरणीय

रेणु ने कहा…

वाह अलग मिजाज के भाव समेटे सुंदर रचना --
विषधर की रखवाली में चन्दन अछूत हो जाता है
पर कहा नहीं जा सकता
शोलों की आगोश बसा शीतल रह पायेगा चन्दन भी - बहुत खूब | हार्दिक शुभकामनायें आदरणीय उदय जी |