गुरुओं के विरुद्ध जो साक्ष्य बने
अंग्रेजों के हितकारक जन
मुगलों के समधी संरक्षक सलाहकार
थे सत्ता के परिचारक जन -
सामंती गिरोह
के ठग वंचक
स्वर
प्रखर हो जाता है -
खून पसीना
आंसू मलबा लगते
उनका दाग शिखर
हो जाता है -
मानवता का
मर्दन करते अशिष्ट
स्वर,कर नस्तर
हो जाता है
पीड़ा को देते
संवेदन विष का
उर प्रस्तर हो
जाता है -
वलिदानी वीर
खलनायक लगते
राजमहल के
नक्कारों को ,
जिनसे शोषित
पीड़ित मानवता है
कैसे प्रसून
कहें हम खारों को-
उदय वीर सिंह
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