मंगलवार, 30 जुलाई 2019

तेरी प्रीत निराली जी .....


तेरी प्रीत निराली जी ! तेरी रीत निराली जी ,
ना लौटा तेरे दर से कोई,खाली हाथ सवाली जी-
निज आँचल से आंसू पोंछे,जब कोई बेबस आया ,
बदहाली अपनी छोड़ गया,पाकर के खुशहाली जी -
तेरी दात ने भर दी झोली,साधू ,संत फकीरों की ,
संगत पंगत के आगे फीकी राजन की कंचन थाली जी -
प्रीत के व्यंजन ,प्रीत की थाली,प्रीत रंग-रस पाये ,
प्रीत की दुनियां रोज मनाती होली ईद दिवाली जी -
जिसके सिर ऊपर तुम स्वामी सो दुःख कैसा पावे,
उसका अनभल कैसे संभव जिसकी तू करता रखवाली जी-
उदय वीर सिंह 



कोई टिप्पणी नहीं: