रविवार, 1 सितंबर 2019

बिन पल्लू के सिर को छिपाने की कोशिश ..


कभी तम के दीये बुझाने की कोशिश 
कभी तम में दीपक जलाने की कोशिश 
समय की शिला पर बने चित्र सुन्दर 
कहीं दर्प मद में मिटाने की कोशिश-
बांसुरी ,बे-सूरी हुई भूत कहता 
बिन अँगुलियों के देखी बजाने की कोशिश
गंतव्य कैसा, कहाँ है ,किधर है ?
अपनी चौखट पर बैठे बुलाने की कोशिश-
बृक्षों की शाखें परिंदों का आलय 
मरुस्थल में उनको बुलान्रे की कोशिश-
भीत बालू के कैसे महल कंचनी हो 
बिन पल्लू के सिर को छिपाने की कोशिश -
उदय वीर सिंह




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