कभी तम के दीये बुझाने की कोशिश
कभी तम में दीपक जलाने की कोशिश
समय की शिला पर बने चित्र सुन्दर
कहीं दर्प मद में मिटाने की कोशिश-
बांसुरी ,बे-सूरी न हुई भूत कहता
बिन अँगुलियों के देखी बजाने की कोशिश-
गंतव्य कैसा, कहाँ है ,किधर है ?
अपनी चौखट पर बैठे बुलाने की कोशिश-
बृक्षों की शाखें परिंदों का आलय
मरुस्थल में उनको बुलान्रे की कोशिश-
भीत बालू के कैसे महल कंचनी हो
बिन पल्लू के सिर को छिपाने की कोशिश -
उदय वीर सिंह
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