शनिवार, 28 सितंबर 2019

भगत सिंह सा बागवाँ देखर -


बदल लेती है रास्ता तकदीर भी,
शहीदे आजम का कारवां देखकर,
चमन भी फूला नहीं समाता,
भगत सिंह सा बागवाँ देखर -
गिरगिट बदल लेता रंग
अक्सर जीने की बेहयाई में,
बदल लेता है पाला महफ़िल में,
भांड भी अक्सर समां देखर -
मतलब परस्तों की दुनियां
सोती रही दुश्मनों की गोंद ,
वतन के सपूत मिटते रहे,
जिगर में ख्वाबे हिन्दुस्ता लेकर -
दीया --मजार शहीदे आजम 
रौशन अख़लाक़ है
तूफान भी रास्ता बदल लेते हैं वन्दगी करके ..

उदय वीर सिंह
उदय वीर सिंह



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