रविवार, 6 अक्तूबर 2019

हमदर्द जो है ....

हमदर्द जो है ....
जंगल न देंगे धरना, बृक्ष न देंगे वोट
माब लिंचिंग से दूर बहुत पुरानी खोट -
रागहीन न रार करेंगे ,न चंदे की बात
न ढोते झंडे-डंडे ,पाते आरी की घात -
न आती हड़ताल, ना सत्याग्रह निति
पत्थर की प्राचीर नहीं,काची उनकी भीत -
दायर करें ना वाद ,न मुंसिफ से पहचान
अपराध न अपना पूछते निर्मम देते जान -
जंगल करें न चाकरी,कोई बृक्ष करें ना काम
आयात वायु की कर लेंगे कौन बड़ा सा काम
संसद हो या संविधान किसकी उनसे प्रीत
नेता हो या अभिनेता कौन करे परतीत-
आरे रेगिस्तान है ,कहता मानव संतान ,
आँख कान विवेक से सूना हो गया इंसान -
उदय वीर सिंह