सोमवार, 13 जनवरी 2020

जिस राह से हम इंसान बने ...

आदिमता को जो आदर्श कहो ,
उन आदर्शों से किनारा करता हूँ-
पशु उच्च कहो , जो मानव से ,
उस दर्शन से किनारा करता हूँ -
जिस राह से चल ,इंसान बनें ,
उस पथ को उजारा करता हूँ-
चाह नहीं पियूष घट - कंचन , ,
जल -निर्झर से गुजारा करता हूँ -
वेद कतेब की बात रखो अपने तै -
दर मानवता का संवारा करता हूँ -
मानुष की जाति एकै पहचानों
नित गुरु- मंत्र उचारा करता हूँ -
जिन द्वारों ने मुक्ति द्वार दिए ,
वो द्वार पखारा करता हूँ -
आयेंगे जिस पथ विश्व गुरु ,
उस पथ को निहारा करता हूँ -
उदय वीर सिंह

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