रविवार, 2 फ़रवरी 2020

सावन सरोवर सूखा ....


सावन सरोवर सूखा ज्येष्ठ
देखना रह गया है ,
फरेब के बाजार में अब श्रेष्ठ
देखना रह गया है -
कुछ बेच दिया है वीर ,
कुछ बेचना रह गया है
आगे बेचने को क्या रह गया,
सोचना रह गया है -
गुदड़ी में ही सही लाल
समेटा था वतन के जानिब,
दाल निकल गयी बजने को
थोथा चना रह गया है -
कमजोर आँखों को दूरबीन भी
दिखाई नहीं देती,
प्रेम को छोड़ ,अब विरह ही
बांचना रह गया है -
जब सूरज ही कहे कि
अंधरों की आदत डालो ,
विस्वास कहता है कि
सूरज का डूबना रह गया है -
उदय वीर सिंह




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