रविवार, 16 फ़रवरी 2020

शिगाफ़ कायम रहे ...


डूबती गयी किश्ती शिगाफ़ कायम रहे,
लाज लुटती रही ,चिराग कायम रहे -
बिकती रही जुबान उसके हर्फो अंदाज
दे लाशों के ऊपर पांव ताज कायम रहे -
भूखा बजाता रहा नगाड़े जश्नों महफ़िल में,
शोषण के राग कायम, साज कायम रहे -
उदय वीर सिंह






1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

वा सर क्या बात ह