शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

कागज के उपवन देखे ....


कागज के फूल कागजी नाव
कागज के उपवन देखे-
दम तोड़ते कागज पर ,
जीवन के निति-नियम देखे-
कहने को आतुर अधर बहुत ,
स्वर ,शब्द ढूंढते देखा है ,
घावों पर भाव संवेदन ले
रोते कागज के निर्धन देखे -
कृषक श्रमिक व्यापारी को
कर्ज भूख में मरते देखा
सूना चूल्हा पेट अंगारे
स्वानों को व्यंजन देखे -
उदय वीर सिंह


2 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…


जय मां हाटेशवरी.......

आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
09/02/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......

अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद

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