रविवार, 26 अप्रैल 2020

शीश नहीं सिर्फ ताज सौंपा है ...

तुम्हें शीश नहीं, सिर्फ ताज सौंपा है ,
देवालय में जलाने को,चिराग सौंपा है -
न काटे जाएँ युग निर्माण के बली तरुवर,
न जले किसी आग रक्षार्थ तुम्हें बाग़ सौंपा है-
छीन आँख का सुरमा, नेह निवाला थालों से
पर्वत श्रृंग नहीं बनते गिरते शीश के बालों से-
सींचे जाएँ फल-फूल फसलों के नंदन वन,
स्वेद बूंद व रक्त-कणों से पूरित तड़ाग सौंपा है-
उड़ जाते हैं वेदन की आंधियों से ताज अक्सर
बिलट जाते हैं अश्क -धार से साम्राज्य अकसर
भावार्थ रोटियों का ,अर्थ शराब का विवेचित हो ,
लौटे अतीत का सौंदर्य, नयनों का ख्वाब सौंपा है -
उदय वीर सिंह

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