" ये पत्थरों से नहीं .प्यार से टूट जाते हैं .."
टूटे दिल रिसते जख्मों को मरहम देने की कोशिश
ये सिक्खी जज्बात अजेही ,परहित जीने की कोशिश -
मन नीवां ,मत ऊँची ,सांझा चूल्हा सहकार लिए ,
निज जीवन की परवाह नहीं परदुख सीने की कोशिश -
अंतस में प्रेम सरोवर है ,चाहें देना हर मानस को,
प्रतिफल प्रतिदान की चाह नहीं,अर्पण करने की कोशिश -
क्षत्रिय ब्राह्मण वैश्य शुद्र से दूर बहुत इनकी दुनियां ,
मानुष की सब एक जाति एक संगति -पंगति की कोशिश -
उदय एर सिंह
2 टिप्पणियां:
नमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 21 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुन्दर
एक टिप्पणी भेजें