गुरुवार, 21 मई 2020

ये पत्थरों से नहीं ..प्यार से टूट जाते हैं ..


" ये पत्थरों से नहीं .प्यार से टूट जाते हैं .."
टूटे दिल रिसते जख्मों को मरहम देने की कोशिश
ये सिक्खी जज्बात अजेही ,परहित जीने की कोशिश -
मन नीवां ,मत ऊँची ,सांझा चूल्हा सहकार लिए ,
निज जीवन की परवाह नहीं परदुख सीने की कोशिश -
अंतस में प्रेम सरोवर है ,चाहें देना हर मानस को,
प्रतिफल प्रतिदान की चाह नहीं,अर्पण करने की कोशिश -
क्षत्रिय ब्राह्मण वैश्य शुद्र से दूर बहुत इनकी दुनियां ,
मानुष की सब एक जाति एक संगति -पंगति की कोशिश -
उदय एर सिंह


2 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 21 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर