शनिवार, 9 मई 2020

पत्थर न सुनते पीर कभी .....


पत्थर न सुनते पीर कभी ..
वो भेजे होंगे आवेदन ,पुकार सुनायी दी होगी
मजलूमों के लोथों से चीत्कार सुनायी दी होगी-
कोरे झूठे आश्वासन से पेट नहीं भरते साहब !
गाँव शहर,कूंचों से सदा लाचार सुनाई दी होगी -
वो बुद्ध नहीं थे कि ,सत्य अवगाहन घर छोड़ेंगे ,
हित रोटी कपड़ा छाँव करूण मनुहार सुनाई दी होगी -
निर्दय निर्मम दृष्टिकोण से ,अनुशंषा पायी होगी
कर प्रसून अभिवादन,उर तलवार दिखाई दी होगी -
पथ समतल जब खो जाते कंटक पथ चुनते राही
मुक्ति की चाहत में भोर उस पार दिखाई दी होगी -
उदय वीर सिंह



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