समझाऊँ इससे अच्छा है कि
समझा देंगे हालात मेरे ,
पाओगे महशर में भी जिन्दा ,
इंसानी ख्यालात मेरे -
ख्वाहिशमंद रहा हूँ वीरे ,
गुल -गुलशन के हंसने का ,
बिक जाओगे क्रेता मेरे ,
जब परखोगे जज्बात मेरे -
अंधड़ और
तूफानों की दस्तक
बेशक मंजर बदलेंगे
कायम
होंगे समय- शिला पर
तूफानी सवालात मेरे -
उदय वीर सिंह
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