शनिवार, 20 जून 2020

लंबरदारी तेरी है .....


सुनना तुमको होगा वीर,कहने की बारी मेरी है ,
पत्थर को पत्थर ही कहना अब लंबरदारी तेरी है -
तू गायक होगा महलों का ,इससे कोई उज्र नहीं ,
उजड़े हुए दयारों की भी,अब जिम्मेदारी तेरी है -
सर्वस्व न्योछावर कर बैठे जब मांगी तूने सहकार ,
दुर्दिन पीड़ा में जन-मानस की खातिरदारी तेरी है -
नील गगन के नक्षत्रों की ओर निहारो बारम्बार ,
निचे खड्ड उगे जन-पथ की साम -सम्भारी तेरी है -
राज दरबारी साधक होगे ,सुगंध मलय के सेवनहार
लोक -जीवन की पीर और क्रंदन चिंगारी भी तेरी है -
परिमल प्रसून मधु मद मदिरालय से रंज नहीं ,
बे-बस भूखे नंगे,जन की रख- रखवारी भी तेरी है -
उदय वीर सिंह



कोई टिप्पणी नहीं: