रविवार, 25 अप्रैल 2021

रह सकते हैं बगैर ताज के भी .....


नहीं पाओगे सिर्फ एक ही है

हिन्दुस्तान मत बेचो
रह सकते हैं बगैर ताज के भी
ईमान मत बेचो
जर्रा जर्रा लाल है लहू से सींचा गया
वारिस हो वलिदानियों के
सम्मान मत बेचो -
जमीने जमीर से इंसानियत की
फसल होगी
तरस जाओगे प्यार के दो बोल को
इंसान मत बेचो -
फानी है जिंदगी तख्तो-ताज की
बात क्या
अपनी सियासती हवस में रामो-
रहमान मत बेचो -
उदय वीर सिंह

6 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक । सुंदर अभिव्यक्ति । देश पर रहम खाओ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बीमारी बेचने की है
क्या करे लाचार है
वैसे भी किस से कहे कोई
लाशें खरीदने को भी
कोई है बैठा तैयार है।

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुंदर।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

शारदा अरोरा ने कहा…

siyasatI havas me ramo Rahman mat becho ... सुंदर prastuti aur saty

शारदा अरोरा ने कहा…

siyasatI havas me ramo Rahman mat becho ... सुंदर prastuti aur saty