रविवार, 20 जून 2021

तेरे ग़म में बराबर ...

मैं कहूँ न कहूँ अपने ग़म साथिया,
तेरे ग़म में बराबर का हकदार हूँ।
किसने लिखा हमको मालूम नहीं,
कहानी का मैं भी एक किरदार हूँ।
हो रहे कत्ल को देखता रह गया,
उस मंजर का मैं भी गुनाहगार हूँ।
न उठेगी नज़र न लिखेगी कलम,
कैसे कह दूं वफ़ा से वफ़ादार हूँ।
उदय वीर सिंह ।