लिखा है
बद्द-नसीब तो खुश-नसीब भी लिखा होगा।
वो ख़ुदा है आज गर्दीशी तो कल ईद भी लिखा होगा।
कब तलक खेलेगी सूरत मंजिल की लुका-छिपी,
हो भले ही हजार पर्दों में,कल दीद भी लिखा होगा।
कौन कहता है वरक हर्फों सियाही बदलेंगे नहीं,
आज लिखा है मुश्किल तो कल मुफ़ीद भी लिखा होगा।
उदय वीर सिंह।
15 टिप्पणियां:
वाह
बहुत खूब । आशा जगती अच्छी ग़ज़ल ।
आपकी लिखी रचना सोमवार 26 जुलाई 2021 को साझा की गई है ,
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
प्रणाम आदरणीया
रचना के चयन व सरोकारी के लिए सादर साधुवाद .संवेदनाओं के कारवां का इकबाल कायम रहे मेरी शुभकामनाये ज्ञापित हैं
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (26-07-2021 ) को 'अपनी कमजोरी को किस्मत ठहराने वाले सुन!' (चर्चा अंक 4137) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बेहतरीन..
एक गीत याद आया
मुझे मिल गया बहाना तेरे दीद का
देखो कैसी खुशी ले के आया ईद..
वीर जी को नमन
सादर..
बहुत खूब। बहुत बढ़िया। आपको बहुत-बहुत बधाई। सादर।
कब तलक खेलेगी सूरत मंजिल की लुका-छिपी,
हो भले ही हजार पर्दों में,कल दीद भी लिखा होगा।
सही कहा हर रात के बाद सुबह होनी ही है...
आशा जगाती बहुत ही सुन्दर गजल
वाह!!!
आज लिखा है मुश्किल तो कल मुफ़ीद भी लिखा होगा।
गहरा सच बयां करती हुई।
वाह बेहतरीन गज़ल।
सादर।
आज लिखा है मुश्किल तो कल मुफ़ीद भी लिखा होगा।
आमीन🤲
सकारात्मक सोच की ग़ज़ल..
बहुत ही बढ़िया कहा ।
लिखा है बद्द-नसीब तो खुश-नसीब भी लिखा होगा।
वो ख़ुदा है आज गर्दीशी तो कल ईद भी लिखा होगा।//
बहुत बढिया वीर जी | सभी शेर प्रभावी और उम्दा हैं | सादर शुभकामनाएं|
वाह! बहुत, बहुत सुंदर!
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