शनिवार, 21 अगस्त 2021

अव्यक्त

 उसका आगे बढ़ना  था की लोग पीछे हटते चले गए ,किसी में इतना साहस नहीं था की उस निहत्थे कृशकाय को रोक सके / अपनी शांत निर्बाध धीमी गति से गतिमान चलता रहा उसका ध्यान किसी की भी  तरफ नहीं मौन निर्विकार निस्तेज भाव से अपने अज्ञात अनिश्चित गंतव्य की ओर अग्रसर था ,लोगों के उससे दूर होने डरने या भयभीत होने का उसने कोई कारन किसी से नहीं पूछा / न ही शायद उसने जरुरत ही समझी हो , ना ही  भीड़ या तमाशायियों में  से किसी ने उससे पूछने की कोशिश की हो/  लोग उसे घबरायी आतंकित निगाहों से देख सुरक्षित रास्ता गली तलाश कर उससे दूर हो उस कौतुहल बने अशक्त मानव से अपनी मौन असंवेदनशील जिज्ञाषा भी साधे हुए थे / अन्यथा वो अपने आवास  या सुरक्षित जगहों को जा चुके होते / 

     शाम का धुंधलका घना होने लगा बड़ी चौड़े राजमार्ग से वह जातक उतर एक कम चौड़े मार्ग पर बेसुध चल रहा था,कोई उसके समीप न जा अपना रास्ता बदल उसे अपनी जिज्ञाशाओं का कमतर विषय समझ अपने नियोजित समय को महत्वपूर्ण स्थान दे चला जा रहा था / सबको अपनी फिक्र थी अपने पाल्यों ,परिजनों हितैषियों कुटुंब मित्रों की यह मान कि यह जीवन उनके ही निमित्त है / किसी अजनवी या अन्य निमित्त नहीं/ 

     उस संकरी गली में सामने से आते हुए  दरम्यानी सिंग विशालकाय शरीरधारी सांड का सामना दुर्बल वीमार से हुआ / जातक अपने रस्ते बेफिक्र निर्विकार सिर झुकाए  चलता जा रहा था ,शायद सांड को लगा ये मेरा प्रतिद्वंदी है / सांड ने बिना देर किये अपनी सींगों से भरपूर पुरुषार्थ दिखाते हुए ऊपर उछाल दिया ,जातक की कोई प्रतिक्रिया नहीं थी ,मकान के दीवार से टकराया और जमीन पर  गिर निस्तेज हो गया था / उसके मैले फाटे झोले से कुछ दवा की गोलिया तथा सूखे ब्रेड के कुछ तुकडे बहार बिखर गए ,जिन्हें सांड ने सुंघा और बिना खाए आगे हुंकारते हुए चला गया /

       भीड़ के कुछ लोग  आगे आये थे पर वापस चले गए , सुना  शायद किसी ने पुलिस को इत्तिला किया है ,रात होने को है कल सुबह होगी देखा  जाएगा / जिसका जो कार्य होगा करेगा ,फिलहाल अभी वक्त विलंबित है /

उदय वीर सिंह 

   

3 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (23-08-2021 ) को 'कल सावन गया आज से भादों मास का आरंभ' (चर्चा अंक 4165) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

Amrita Tanmay ने कहा…

मानवता का ऐसा पतन शर्मनाक है ।

मन की वीणा ने कहा…

हृदय स्पर्शी, अमृता जी ने ठीक कहां है मानवता का ह्रास गर्त तक।
निशब्द हूँ।