बुधवार, 4 अगस्त 2021

दरबारों के शान शौक ...

 


दरबारों की शान शौक दरबारी लिखते हैं सौदे का सामान प्रीत व्यापारी लिखते हैं जीवन हर पल समिधा यज्ञ सृजन की , याचन की वृत्ति भीख भिखारी लिखते हैं - उदय वीर सिंह

4 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 05 अगस्त 2021 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

PRAKRITI DARSHAN ने कहा…

जीवन हर पल समिधा यज्ञ सृजन की---बहुत खूब शब्द हैं...।

Onkar ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति.