टुकड़े ही उठाएंगे बिखर जाने के बाद।
घर दिखाई देता है उतर जाने के बाद।
पाएंगे सौगात जी कफन में लपेट कर,
बे-वजूद हो जाएंगे डर जाने के बाद ।
बाद रुख़्सती के कौन रोता है उम्र भर,
रोते कुछ देर तक ख़बर आने के बाद।
बे-जुबान शहर,तन्हा बोलता रह गया,
इमदाद आयी भी तो मर जाने के बाद।
उदय वीर सिंह।
1 टिप्पणी:
वाह
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