बोल कर प्यार के दो बोल
कभी गरीब न होगे।
किसी की गर्दिशी में साथ दे
बद्दनसीब न होगे।
दो कदम जनाजे के साथ
ताजिर नहीं जाते,
लगाकर हबीब की पट्टियां
कभी हबीब न होंगे।
हमदर्दी की नुमाईश नहीं
करते कभी नेकदिल,
रख कर फासले दिल में
कभी क़रीब न होंगे।
उदय वीर।
1 टिप्पणी:
Ek dum sach hai!
एक टिप्पणी भेजें