शनिवार, 25 सितंबर 2021

बादशाह मौत का डर देता है...


 








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न पूछता है तूफान किसी की खैरियत

न आसमान घर देता है।

सल्तनत देती है बेदखली का,

 बादशाह मौत का डर देता है।

झुका सकते हैं जो आसमां को ,

उन परिंदों को पर नहीं,

गैरों की अस्मत का है जिन्हें ख़्याल,

दौर मुर्दों का शहर देता है।

समंदर किसी की परवाह करे 

 नहीं मिलती कोई मिसाल,

बरसती आग सहरा में मुसाफ़िर को,

कौन शज़र देता है।

उदय वीर सिंह ।