बुधवार, 29 सितंबर 2021

पतवार बिक गए तो...







क्या होगा उन बेड़ों का पतवार बिक गए तो।

मनसबदार कहाँ जायेंगे दरबार बिक गए तो।

घड़ियालों के नयनों से बहते रहे निरन्तर 

उनअश्कों का क्या होगा ऐतबार बिक गए तो।

प्यार की भाषा परिभाषा मौजों सी जो होगी,

रहबरी का क्या होगा जब यार बिक गए तो।

सत्य निष्ठा अनुराग सबल राह फतह की देते हैं,

क्या होगा रणभूमि का खुद्दार बिक गए तो।

उदय वीर सिंह।




1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बिक ही रहे हैं | सुन्दर |