रविवार, 10 अक्तूबर 2021

निवाले की सोचिए


 







सूरज ढलने से पहले घर में उजाले की सोचिए।

मंदिर और मस्जिद से पहले निवाले की सोचिए।

आंधियों,तूफान से किसी का रिश्ता नहीं होता,

मकान में जिंदगी है पुख्ता रखवाले की सोचिए।

मरहम देकर इश्तिहार नहीं देता कोई हमदर्द

दिए ज़हर से भरे लबालब पियाले की सोचिए।

उदय वीर सिंह।