मंगलवार, 23 नवंबर 2021

दिल में लिखी है अजमत....









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छीना नहीं बख्सा है रब ने स्वीकार करते हैं।

रब का नूर आला है वो सबसे प्यार करते हैं।

रोक देती है चलने से पहले शमशीर खुद को,

जब हकपसंदों पर जबर ज़ालिम वार करते हैं।

दूध और खून की रोटी बयां करती हैं फ़ासले,

बेचते नहीं बचाकर वतन पर निसार करते हैं।

कपड़ों पर नहीं दिल में लिखी है अज़मत,

मकबूलियत है सच्चे सौदेका व्यापार करते हैं।

उदय वीर सिंह।

7 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…
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Ravindra Singh Yadav ने कहा…
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Pammi singh'tripti' ने कहा…
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जिज्ञासा सिंह ने कहा…
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जिज्ञासा सिंह ने कहा…
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विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…
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Manisha Goswami ने कहा…
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