शनिवार, 4 दिसंबर 2021

आघातों से समझौता क्यों?








🙏

बिखर गया तो फिर संवरेगा 

आघातों से समझौता क्यों?

दस्तक है पतझड़ की आज

नैराश्य बसंत से होता क्यों?

टूटी है कारा यामा की वीर

धन साहस का खोता क्यों?

मन मानस में प्रीत भरो जी

वैर का विरवा बोता क्यों?

सत्य सदा संबल बनता है,

बोझ असत्य का ढोता क्यों?

हंसने के भी दिन आते हैं,

वेदन में फिर रोता है क्यों?

उदय वीर सिंह।

1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…
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