........सरदार भाई जी.✍️
ढूंढ लेते नफरत में भी,प्यार भाई जी।
बखरा है सरदारों का ,संसार भाई जी।
मीरी और पीरी का , संस्कार आला है,
मन नीवां मति ऊंची का व्यापार भाई जी।
दिल सागर साहस पर्वत सा मान ऊंचा है,
हर मानुष का गुरु-घर में सत्कार भाई जी।
हकपसन्द वलिदानी हैं गुरुवाणी की ओट,
वचन निभाते देकर शीश सरदार भाई जी।
पहुंचा लेकर तन मन धन दर्द सदा कीआई,
गर्दिश में होकर न होआ गद्दार भाई जी।
उदय वीर सिंह।
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