शनिवार, 18 दिसंबर 2021

फूल किसी पर फल देखा है.....


 






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हर साख दरख़्त ने ही संवारी है, 

फूल तो किसी पर फल देखा है।

सौंदर्य का माधुर्य कहीं कम नहीं ,

कहीं गुलाब तो कहीं कमल देखा है।

देखा अम्बर से जमीं पर उतारे ख्वाब,

आज तो किसी ने कल देखा है।

संगमरमरी महल का खुदगर्ज होना, 

झोंपड़ी की आंखों को सजल देखा है।

कम न हई किसी की खूनी प्यास,

किसी को पीते हुए गरल देखा है।

सहरा में छलकता स्वच्छ शीतल नीर,

ऊपर घास नीचे दलदल देखा है।

उदय वीर सिंह।

3 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…
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सी. बी. मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…
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Anuradha chauhan ने कहा…
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