गुरुवार, 27 जनवरी 2022

गणतंत्र ...जिये मेरा वतन


 




.....जिये मेरा वतन✍️

वतन से शुरू हो वतन पर खतम,

जांनिसारों की दुनियां का शानी नहीं।

दीन है ये वतन,अपना ईमान है,

ये हक़ीक़त युगों की, कहानी नहीं।

न इस लोक में ना किसी लोक में,

गंगा यमुना के जैसा कोई पानी नहीं।

राम के गीत हैं , गीत रहमान के,

गीत हैं प्रीत के जिनका शानी नहीं।

जिंदगी से बहुत ही ,वतन सोणा है,

अपने गुरुओं से चंगी कोई बानी नहीं।

उदय वीर सिंह।

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