.....जिये मेरा वतन✍️
वतन से शुरू हो वतन पर खतम,
जांनिसारों की दुनियां का शानी नहीं।
दीन है ये वतन,अपना ईमान है,
ये हक़ीक़त युगों की, कहानी नहीं।
न इस लोक में ना किसी लोक में,
गंगा यमुना के जैसा कोई पानी नहीं।
राम के गीत हैं , गीत रहमान के,
गीत हैं प्रीत के जिनका शानी नहीं।
जिंदगी से बहुत ही ,वतन सोणा है,
अपने गुरुओं से चंगी कोई बानी नहीं।
उदय वीर सिंह।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें