शनिवार, 8 जनवरी 2022

मदारी की अंगूठी......


 




..✍️

जुल्म की हर अदा कामयाब होगी 

 कौन कहता है।

मदारी के हाथ की अंगूठी नायाब होगी 

 कौन कहता है।

इल्म का बाँझपन आंसुओं से वास्ता नहीं रखता,

हर महल के पीछे मुमताज होगी 

 कौन कहता है।

मक्के  दी रोटी सरसों के साग का स्वाद  ही बखरा,

सिर्फ अमीर की रोटी लाजवाब होगी 

 कौन कहता है।

उदय वीर सिंह।

कोई टिप्पणी नहीं: