शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

स्वर ऊंचा हो जाने से...


 



🙏

क्या दर्शन भी ऊंचा हो जाता,

स्वर ऊंचा हो जाने से।

क्या संवेदन भी ऊंचा हो जाता,

दर ऊंचा हो जाने से।

क्या गगन टूट कर गिर जाता,

पत्थर ऊंचा हो जाने से।

क्या कलुष हृदय पीयूष हो जाता,

स्वर कातर हो जाने से।

क्या मर्यादा मूल्य परिभाषित होते,

घर ऊंचा हो जाने से।

क्या झुक जाते संस्कार संस्कृति,

सिर ऊंचा हो जाने से।

उदय वीर सिंह।

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