गुरुवार, 10 मार्च 2022

मंजर याद आये,..


 




..मंजर याद आये...✍️

जितना कुरेदा जख्मों को 

वो मंजर याद आये।

अपनों के हाथों में सजे

खंजर याद आये।

बहारों ने छीन ली हमसे,

जगह दी वो बंजर याद आये।

बिना दीवारों के कैद रहा,

वो पिंजर याद आये।

नीलाम करते आबरू ,

वो सिकंदर याद आये।

मुख्तसर न हुई जुर्म की मंजिल

वो नश्तर याद आये।

रहे जालिमों के हमनवा,

वो कलंदर याद आये।

देखती रही कायनात डूबते,

आँसुओं के समंदर याद आये।

उदय वीर सिंह।

3 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Ravindra Singh Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
अनीता सैनी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.