मंगलवार, 29 मार्च 2022

वक्त के मुताबिक...


 





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रश्म टूट जाएगी,रश्म  बना ली जाएगी।

गर नशा कम हैअफ़ीम मंगा ली जाएगी।

खुला रहना दिल का, इतना अच्छा नहीं,

बीच में एक ऊंची दीवार उठा ली जाएगी।

मंचों की भी अपनी अलबेली संस्कृति है,

आंखों में थोड़ी ग्लिसरीन लगा ली जाएगी।

एक सच्चा हमदर्द होने का फन आला है,

वक़्त के मुताबिक तस्वीर लगा ली जाएगी।

उदय वीर सिंह

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