शुक्रवार, 27 मई 2022

पुजारी देखता है....


 




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नफ़ा और नुकसान को व्यापारी देखता है।

रास्ता निज आराध्य का, पुजारी देखता है।

इशारों में मुकर्रर कर देता है सजा उनकी,

बेजुबानों की आखों में मदारी देखता है।

बिछाई जाल ऊपर दाने शीतल नीर भी,

घात लगाये बैठा दूर शिकारी देखता है।

मीर चश्मों से देखता क्या शेष झोपड़ी में,

मुफ़लिस प्यार से मीर की अटारी देखता है।

उदय वीर सिंह।

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