गुरुवार, 30 जून 2022

क्या बनना था ..

 





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क्या बनाना था इसे क्या बनाकर रख दिया।
फूल रखने थे जहां कांटे बिछाकर रख दिया।
हसरतों की छांव में कुछ पल बिताने की कशिश,
खोलना था द्वार को ताला लगाकर रख दिया।
दे दी दवा हकीम ने ख़ैरात की झोली समझ,
प्यास में मदिरा मिली पानी छिपाकर रख दिया ।
ढूंढते मंजिल मुसाफ़िर राह उनकी गुमशुदा,
राह में दीपक जलाया फिर बुझाकर रख दिया।
उदय वीर सिंह।

9 टिप्‍पणियां:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…
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Ravindra Singh Yadav ने कहा…
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अनीता सैनी ने कहा…
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शुभा ने कहा…
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Anuradha chauhan ने कहा…
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कविता रावत ने कहा…
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मन की वीणा ने कहा…
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मन की वीणा ने कहा…
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संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
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