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फूल रखने थे जहां कांटे बिछाकर रख दिया।
हसरतों की छांव में कुछ पल बिताने की कशिश,
खोलना था द्वार को ताला लगाकर रख दिया।
दे दी दवा हकीम ने ख़ैरात की झोली समझ,
प्यास में मदिरा मिली पानी छिपाकर रख दिया ।
ढूंढते मंजिल मुसाफ़िर राह उनकी गुमशुदा,
राह में दीपक जलाया फिर बुझाकर रख दिया।
उदय वीर सिंह।
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