रविवार, 10 जुलाई 2022

कहूँ तो कैसे..





 ....कहूँ तो कैसे..✍️

है साजिशों  की  सान  सम्मान  कहूँ

तो कैसे।

जब  पीना  विष  का  जाम आसान 

कहूं तो कैसे।

दर्द गरीबी ऋण रोग आभूषण सतर 

बनाते बखरी,

याचन जिनकी नियति बनी अपमान 

कहूँ  तो कैसे।

तन, मन, वंधक  जिनका  उपयोग 

पराए हाथों में,

यकृत हृदय कलेजा बिकता सामान 

कहूँ तो कैसे।

होंठ खुले तो विष तीर अनेकों भर 

जाएंगे आनन,

भूख यतिमी अनजानापन उनकी 

पहचान कहूँ तो कैसे।

आदर्शों की प्राण वायु दे जाती है

स्वांस श्लेष 

हैं बिन रोटी कपड़ा और मकान 

उनका हिंदुस्तान कहूँ तो कैसे।

उदय वीर सिंह।

1 टिप्पणी:

How do we know ने कहा…
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