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अर्थ मर जायेंगे तो शब्द जीकर क्या करेंगे।
न रहेगी दुनियां तो अमृत पीकर क्या करेंगे।
जब बारिश तेजाबी , हवा में मिर्च घुली हो,
दर्द के शहर में जख्म सीकर क्या करेंगे।
ईश्वर होजाने का यकीन हो जाये आदमी को
उसे आदमियत की नजीर देकर क्या करेंगे।
उदय वीर सिंह।
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