मंगलवार, 13 सितंबर 2022

फुलकारियाँ निलेंगी...






 ...........✍️

विस्वास रखो  विरमित  हुए  हाथों से,

चित्रकारियां निकलेंगी।

मौन हैं स्तब्ध नहीं इन होठों से प्रलेखों

की आरियां निकलेंगी।

अग्निपथ का शमन होनाअवश्यम्भावी है 

शांति की सवारियां निकलेंगी।

पी लेते हैं गरल समभाव की गर्वित

संभावनाओं पर,

उन्माद आघात पर प्रतिघात की 

चिंगारियां निकलेंगी।

जलकर भी उर्वरता नहीं खोई अपनी

ममतामयी जमीन,

आज वीरान राख भरी कल मर्मस्पर्शी

फुलकारियाँ निकलेंगी।

न पढ़ सका कोई सौदाई चमन की संवेदना अन्तर्वेदना,

दमन  के बाद भी गुलों की क्यारियां

निकलेंगी।

उदय वीर सिंह।

कोई टिप्पणी नहीं: